में प्रकाशित किया गया था अन्धविश्वास भंजन, तांत्रिकों की धोखाधड़ी

साँपो के विषय में प्रचलित प्रमुख 7 भ्रान्तियों का वैज्ञानिक समाधान

(नागपंचमी पर विशेष प्रस्तुति)

🔥 भ्रान्ति: 1- सांप दूध पीते हैं। रात में गायों के पिछले पैरों से बँधकर पूरा दूध पी जाते हैं। नागपंचमी और मनसा पूजा के दिन भी साँप दूध पीते देखे जाते हैं।

गरजता समाधान:-
तथ्य-(क) साँप एक सम्पूर्ण मासाहारी प्राणी है। वह चूहे, मकोड़े, पक्षियों के अण्डे और छोटे बच्चे खाते हैं। दूध उनका प्राकृतिक आहार ही नहीं है।

तथ्य-(ख) साँप की हड्डियाँ नहीं होतीं। उनके कंकालतंत्र में काँटेदार संरचना होती है जो कि हड्डियों की श्रेणी में नहीं आती। इसलिए साँप में कैल्शियम को पचाने की क्षमता नहीं होती और दूध में कैल्शियम होता है। अतः साँप दूध भी नहीं पचा सकता।

साँप को दूध पीने वाला कहना वैसा ही है जैसे शेर को दाल-चावल खाने वाला कहना या फिर बकरी को मांस खाने वाला कहना। वैसे ही दूध साँप का प्राकृतिक आहार ही नहीं है।

तथ्य-(ग) साँप को दूध पिलाने से पहले उसे भूखा रखा जाता है।

अकाल पड़ने पर जिस प्रकार कई दिनों से भूख से पीड़ित व्यक्ति को कंकड़, रेत आदि निगलते देखा गया है। उसी प्रकार सँपेरे लोग उसे दो दिनों तक भूखा रखते हैं। जिससे नागपंचमी, मनसा पूजा अथवा अन्य अवसरों पर उनके सामने दूध रखने पर भूख की जलन को शान्त रखने के किये उसे पी जाता है। जिसके कारण अनेक बार उसके फेफड़ों में दूध घुस जाता है, जिससे निमोनिया हो जाता है, आँतों में सड़न उत्पन्न हो जाती है, उसको बुखार आ जाता है और अनेक बार मृत्यु हो जाती है।

इसलिए जिनके अन्दर तनिक भी दया शेष है, वे साँप को दूध पीलाने के अंधविश्वास को त्यागकर ऐसे पापकर्म को प्रोत्साहन देने से बचें।

तथ्य-(घ) भारत एक ऐसा देश है जहां स्वार्थपूर्ति के लिए पत्थर के साँपों तक को दूध पिलाते हैं, परन्तु कहीं असली साँप दिख जाए तो उसे मार डालते हैं।

🔥 भ्रान्ति: 2- साँप अपने साथी की मृत्यु का बदला लेते हैं। वे अपनी आँखों में मारने वाले की रंगीन फोटो खींच लेते हैं।

गरजता समाधान:-
तथ्य-(क) साँप एक वर्णान्ध (colour blind) जीव है। अतः उसे विभिन्न रंग नहीं दिखाई देते।

वह केवल काले और सफेद रंग को ही भलीभाँति पहचान सकता है। इसलिए उसके द्वारा रंगीन फ़ोटो खींचा जाना हास्यास्पद है। 😀

तथ्य-(ख) साँप के मस्तिष्क में सीखने वाला भाग (लर्निंग पार्ट) ही नहीं होता। साँप के मस्तिष्क इतने विकसित ही नहीं होते, कि वह किसी की शक्ल या कोई आकृति याद रख सके। इसलिए केवल वह प्रत्यक्ष चीजों पर प्रतिक्रिया करता है। साँप को (विशेषकर कोबरा/गेहुअन/नाग) यदि गुस्सा दिला दिया जाय और किसी काली अथवा सफेद वस्तु का उसका ध्यानाकर्षित करा जाय, तो उसे पीछे से पकड़ने या छूने या उठाने पर उसे पता ही नहीं चल पाता। क्योंकि उसके मस्तिष्क की इतनी ही सीमा है। उसमें बहुत से भाग नहीं होते जो उसे बदला लेने के लिए प्रेरित करें। वह केवल आत्मरक्षा के लिए प्रतिक्रिया कर सकता है।

उदाहरण के लिए आप ये वीडियो देखें:-
इसलिए यह कहना कि साँप बदला लेता है यह अवैज्ञानिकता और अज्ञानता के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। उसके मस्तिष्क की तरह उसकी आँखें भी अल्प-विकसित ही होती हैं।

तथ्य-(ग) कभी कभी साँप को मारने पर उसके गुदाद्वार से एक विशेष प्रकार के श्लेमिय पदार्थ की गन्ध निकलती है। जिसे अन्य साँप सूँघते हुए वहां पहुंच जाते हैं। जिससे लोगों को लगता है कि ये बदला लेने के लिए आये हैं। और यहीं इस अंधविश्वास का आधार है।

आप समझ सकते हैं कि इस तथ्य का सांपों द्वारा अपनी आंखों में फोटो खींचने से कोई सम्बन्ध नहीं है।

तथ्य-(घ) साँप की आंखें इतनी अविकसित होती हैं कि स्थिर वस्तुओं को संसूचित करने में ही कठिनता अनुभव करते हैं या अधिकांशतः संसूचित नहीं कर पाते। वह केवल हिलती-डुलती वस्तुओं को ही संसूचित कर पाते हैं।

अतः उपरोक्त वर्णित स्थितियों में साँपों के द्वारा किसी की फोटो खींचने की बात अत्यन्त अज्ञानतापूर्ण है।

🔥 भ्रान्ति: 3- साँप बीन की धुन पर नाचते हैं। उन्हें हमारी हल्की से हल्की ध्वनि भी सुनाई दे जाती है। सपेरे मंत्रध्वनि वाले धुन पर साँपों को बुला लेते हैं।

गरजता समाधान:-
तथ्य-(क) साँप के कान ही नहीं होते। इसलिए वे ध्वनि कम्पनों को सुनने या संसूचित करने में असमर्थ होते हैं।
वे हमारे चलने फिरने से धरातल पर उपजी धमक को निचली जबड़े से संसूचित कर लेते हैं। बाकी उन्हें किसी भी प्रकार की कोई ध्वनि नहीं सुनाई देती।

तथ्य-(ख) साँप हिलती डुलती वस्तुओं को ही संसूचित कर पाते हैं। अतः बीन के हिलने-डुलने को वे भांपकर उसपर उसपर दृष्टि स्थिर करने के प्रयास में स्वयं भी हिलते-डुलते हैं। जिसे देखकर लोगों को उनके बीन की धुन पर नाचने का भारी भ्रम हो जाता है।

🔥 भ्रान्ति: 4- कुछ साँप मणिधारी होते हैं। ये मणियां उनके सिर पर होती हैं। वे चमकदार होती हैं।

गरजता समाधान:-
तथ्य-(क) जीवविज्ञान के अनुसार साँपों के शरीर में ऐसा कोई अंग ही नहीं होता, जिसमें मणि जैसा कोई पदार्थ विकसित हो सके या साँप उसे धारण कर सके।

तथ्य- (ख) कुछ सपेरे लोगों को धोखा देने के लिए जबरदस्ती साँप के सिर वाले भाग को चीरकर कोई चमकीला पत्थर लगा देते हैं। और भीड़ में लोगों के सामने उसे चीरकर निकाल लेते हैं और लोगों की अज्ञानता का लाभ उठाकर उसे लाखों रुपये में बेचकर उड़न-छू हो जाते हैं।

तथ्य: (ग) आज विश्व में 3000 से अधिक साँपों की प्रजातियां ज्ञात हैं और करोड़ों साँप पकड़े जा चुके हैं। उनमें एक भी ऐसा साँप नहीं, जिसमें मणि पायी जाती हो।

तथ्य: (घ)- तमिलनाडु और केरल के मध्य सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाली इरुला जनजाति सदियों से साँपों के मध्य ही रहती आई है। इनका पारम्परिक कार्य मनुष्य को साँपों से बचाना और साँपों को मनुष्य से बचाना है। इनके अनुसार भी किसी भी प्रकार के साँप में मणि नाम की कोई चीज ही नहीं होती।

उपरोक्त तथ्यों से सिद्ध है कि साँपों में मणि होना निहायत ही ढकोसला है।

🔥 भ्रान्ति: 5- कुछ साँप दोमुँहे होते हैं अर्थात उनके दो मुँह होते हैं।

गरजता समाधान:-
तथ्य: (क) जेनेटिक त्रुटियों से कुछ साँपो को दोमुँह वाले सन्तान उत्पन्न होते हैं। परन्तु यह जेनेटिक गलतियां संसार के प्रत्येक जीव जैसे मनुष्य, कुत्ता आदि में भी दिखाई देती हैं। परन्तु इनकी सम्भवना नगण्य होती हैं। ऐसे मामलों साँपों अथवा अन्य किसी भी जीव में अत्यन्त दुर्लभ होते हैं।

तथ्य: (ख) कुछ साँपों की आकृति ऐसी होती है उनकी पूंछ वाला भाग पतला न होकर उतना ही मोटा होता है जितना कि उनका मुँह। जैसे – गूँगी साँप की कुछ प्रजातियां। इसलिए वे दोमुंहा होने का भ्रम उत्पन्न करते हैं। ऐसे में कुछ चालक सपेरे पूंछ वाले भाग में जबर्दस्ती आंख जैसी आकृति बना देते हैं। इसके लिए कभी-कभार साँपों के साथ क्रूरता की जाती है। जिसमें वो किसी रंग को छोड़कर तीक्ष्ण धार वाले चीजों का प्रयोग करते हैं। यह पशु क्रूरता अपराध के अंतर्गत आता है।

🔥 भ्रान्ति: 6- कुछ साँप उड़ते हैं।

गरजता समाधान:-
तथ्य: (क) किसी भी साँप को पंख नहीं होते। इसलिए पंख के बिना उड़ने की बात निराधार और अज्ञानतापूर्ण है।

तथ्य: (ख) कुछ साँपों का शरीर स्पंजी होता है। जिससे ये स्प्रिंग की भाँति शरीर को सिकोड़कर छोड़ने पर कुछ दूरी तक उछल जाते हैं। जिससे हमें उनके द्वारा उड़ने का भ्रम उत्पन्न होता है।
भारत में पाई जाने वाली साँपों की एकाध प्रजाति को उड़ने वाला साँप बताया जाता है। जैसे bronze back tree snake साँपों की एक प्रजाति है जिसे उड़ने वाला साँप (flying snake) तथा हिंदी में बाँसजोड़ साँप कहा जाता है।
यह साँप उड़ने के लिए अपनी शारीरिक विशिष्टता को उछाल के रूप में उपयोग करता है। और कुछ मीटर तक की दूरी उछाल मारकर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर पहुंच जाता है।

जिससे लोगों को उनके उड़ने का भ्रम उत्पन्न होता है।

🔥 भ्रान्ति: 7 कुछ नाग इच्छाधारी भी होते हैं। इनमें इच्छानुसार रूप बदलने की क्षमता भी पाई जाती है।

गरजता समाधान:-
तथ्य: (क) आज विज्ञान के युग में विश्वभर में CCTV जैसे गुप्त कैमरों की भरमार है। वन्यजीवों जैसे शेर,बाघ आदि की निगरानी के लिए आरक्षित जंगलों तक में भी CCTV कैमरों का जाल बिछा दिया गया है। परन्तु आजतक एक भी इच्छाधारी नाग-नागिन इन कैमरों में कैद न हो सका। लगता है विज्ञान के डर से ये इच्छाधारी नाग-नागिन अपने बिल में सदैव के लिये छिप गए हैं।😀

तथ्य: (ख) नाग मनुष्यों की एक जनजाति का भी नाम है। इन्ही के नाम पर भारत के एक प्रदेश का नाम नागालैंड प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र के छोटानागपुर के महाराज स्वयं को नागवंशी क्षत्रिय बताते हैं। प्राचीन भारत मे नाग राजाओं के वंश भी चले हैं, जिनके शिलालेख आदि मिलते हैं। इनमें से कोई भी इच्छाधारी नहीं है। सब मनुष्य ही हैं। नागों के समान अत्यधिक क्षात्र-क्रोध के कारण ये क्षत्रिय जाति “नाग” कहलाई।

अतः यह साँपों पर आधारित सर्वाधिक अज्ञानतापूर्ण अंधविश्वास है। इस अंधविश्वास की गहराई का अनुमान ऐसे लगाया जा सकता है कि इसके आधार पर देश-विदेशों में पुराने काल से अनेक कथाएं लिखी गईं और आज भी लिखी जाती हैं। अनेक फिल्में और सीरियल मशाला लगा-लगाकर हिट हो गए।😀

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नाग-पञ्चमी के शुभ-अवसर पर इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करें, जिससे साँपों की जान बचाई जा सके।

(4 वर्ष पूर्व लिखित विज्ञान विषयक तथ्यात्मक लेख)

।।ओ३म् शम्।।